अब कहा दिल बेवजह ही मुस्कुराता दिखता हैअब कहा कोई चुटकुले से गुदगुदाता दिखता हैअब नहीं मिलते है यारो यार भी जिगरी मुझेअब कहा यू हीं कोई मुझे बुलाता दिखता है(Bachpan Poetry by Nidhi Narwal lyrics hindi)अब नहीं महल वो जो रेत में बनाए थेअब नहीं पतंग है जो शौक से उड़ाए थेअब नहीं जहाज है वो और न वो नाव हैकागजों से खेलने को जो कभी बनाएं थेहसरतें है झूम लूं शीशे में खुद को चूम लूंबरसात में छतरी बिना गली गली मै घूम लूंबादलों से झांक कर मैं आसमां ये छांट लूंहंसी खुशी ये यार से हंसी खुशी मैं बांट लूंभीड़ ही में रो पड़ूंभीड़ ही में गिर पड़ूंआजाद इतना मन नहीं,बे सबब ही नांच लूंअब बचे वो दिन नहीं(Bachpan Poetry by Nidhi Narwal lyrics hindi)अब कभी भी चोटियों में रिबने डलती नहींअब कभी मैदान में ही शाम में ढलती नहींअब कहां हैं रौशनी आँखों में किसी ख़्वाब कीअब कभी वो बावरी सी आग ही जलती नहींजुस्तजु है प्यार होस्कूल की दीवार होमैं खड़ी हूं इस तरफवो छुपा उस पार होनादानियां हो बेधड़क वो तितलियां हजार होएक झलक मिले महज उसी का इन्तजार होपर चाहतों में गर्द है जिन्दगी भी सर्द हैवो दिन थे दिल में प्यार थाअब दिलों में दर्द हैबचपन बड़ा ही पाक थाकुछ पल को ही वो साथ थाकुछ रात लोरी वो सुनाकरख्वाब परियों के दिखाकरगुदगुदा के दो घड़ी,मुझे सुला के दो घड़ीसौंप के गया मुझे यूं वक्त के वो हाथ मेंछोड़ के गया मुझे बेचैनियों के साथ मेंकाली अंधेरी रात मेंबिन कहे ही चल दियाहुई सुबह नहीं मिला वो...!Written By: Nidhi Narwal
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